दिल की हर तमन्ना बेखयाल
हर चाहत कही खो गयी है
आज बारिश भी जैसे रो रही है
किसी की आहाट से इतनी घबराहट क्यों ,
की लब सिले , आँखे भी नाम है
होश नाम का भी नहीं
और फिर वही मदहोशी है
वही गुमनाम अँधेरे
वही बेपनाह सवेरे …
बड़ी शिद्दत के बाद जीना सीखा था
झूठा ही सही , हसना सीखा था
कही किसी कोने में दिल के यादे दफनाये
एक बार फिर से खुलना सीखा था
है शिकायते इतनी की गिनती भूल गए है
है दर्द इतना सीने में की आदत सी पद गयी है
जो कभी हम जीते थे किसी के लिए ….
आज मरने को जी रहे है
और मौत भी आज मुस्कुरा कर
दामन छुड़ा चली हैं …
क्यों क़ैद हूँ इस भावर में
क्यों क़ैद हूँ दुनिया की नज़र में
जब बचे ही नहीं कोई सपने , फिर
क्यों क़ैद हूँ उन टुकडो में …
आज नजाने क्यों हकीक़त से रूबरू हूँ
जो दौड़ रहा है नस नस में , उस दर्द से वाकिफ हूँ
गिले शिकवे नहीं है मुझे उस से कही
बस खुद ही की नज़र में नाकाबिल हूँ ….
5 comments:
Good one!!! :)Although it took me sometime to read it completely.
hmmmmmmm.... mast tha.. specially tht shiddat wali line... wah wah!!
no comments...its simply amazing,very very very heart touching...
don't live in past...think of Future n enjoy...
luvly poem...........bt itna sad kyon ho aap???? a very beautiful world is waiting for u ............ all u need to do is smile...........:) DIL SE
perfecttttt
Post a Comment