दिल आज बावरा सा हुआ है
नजाने कैसे आज पागल सा हुआ है
सपनो की वो कड़ी जाने कैसे
आँखे मूंदे बनी है
खुली आँखों के ख्वाब सच
और सच ख्वाब सा है
बरसी है सावन के साथ
कितनी नयी आशाये
एक नयी ज़िन्दगी की आस आज
सांस के साथ बंधी है
मजबूरियों से मुक्त हाथ
आज खुल कर बढे है
कभी सपनो के लिए जीते थे
आज सपने साथ जीते है
सजी सी किस्मत लगती है
बदली सी हर बात
ख़ुशी का दामन थमा सा है
और अंधेरो में तन्हाईयाँ
वो अँधेरे भी दूर , बहुत दूर ,
न पहुंचे , बीच में दीवार सी है
बगैर किसी के साथ के आज
फिर खुल कर हसना सीखा है …
2 comments:
its again very heart touching...just can't express in words coz i don't have the words to describe....
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
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