Monday, December 21, 2009

Tasveer...






तस्वीर  देखती  हूँ 
उन  पुर्जो  में  कोई  ख़त  खोज  रही  हूँ 
पैगाम  उस  अनजान  चेहरे  का ,
इरादे  का  अंजाम  खोज  रही  हूँ 


आशिकी  का  हर  राज़ ,
उसके  लिए  सरगम  का  साज़  खोज  रही  हूँ 
घुंघरू  की  ताल ,
आवाज़  का  आग़ाज़   खोज  रही  हूँ 


धड़कन   सुनती  हूँ 
साँसों  की  वो  बात  खोज  रही  हूँ 
थामे  रात  को 
चांदनी  के  निशान  खोज  रही  हूँ 


मदहोश कर रही है मधु
आज मैं अपने ही पाँव के निशाँ खोज रही हूँ 
रेत के घरोंदे को देखती हूँ 
खुद का दुनिया में मकाम खोज रही हूँ 



3 comments:

kathe mithe pal said...

really nice one

Unknown said...

sach me achi hai ,aisa lagta hai madhu ne madhosh kr diya

kathe mithe pal said...

nice very nice......................:)