Wednesday, December 30, 2009

Ab kya...

दिल  की  हर  तमन्ना  बेखयाल 
हर  चाहत  कही  खो  गयी  है 
आज  बारिश  भी  जैसे  रो  रही  है 
किसी  की  आहाट  से  इतनी  घबराहट  क्यों ,
की   लब  सिले , आँखे  भी  नाम  है 
होश  नाम  का  भी  नहीं 
और  फिर  वही  मदहोशी  है 
वही  गुमनाम  अँधेरे 
वही  बेपनाह  सवेरे …
बड़ी  शिद्दत  के  बाद  जीना  सीखा  था 
झूठा  ही  सही , हसना  सीखा  था 
कही   किसी  कोने  में  दिल  के  यादे  दफनाये 
एक  बार  फिर  से  खुलना  सीखा  था 
 है  शिकायते  इतनी  की  गिनती  भूल  गए  है 
है  दर्द  इतना  सीने  में  की  आदत   सी  पद  गयी  है 
जो  कभी  हम  जीते  थे  किसी  के  लिए ….
आज  मरने  को  जी  रहे  है 
और  मौत  भी  आज  मुस्कुरा  कर 
दामन छुड़ा  चली  हैं …
क्यों  क़ैद  हूँ  इस  भावर  में 
क्यों  क़ैद  हूँ   दुनिया  की  नज़र  में 
जब  बचे  ही  नहीं  कोई  सपने , फिर 
क्यों  क़ैद  हूँ  उन  टुकडो  में …
आज  नजाने  क्यों  हकीक़त  से  रूबरू  हूँ 
जो  दौड़  रहा  है  नस  नस  में , उस  दर्द  से  वाकिफ  हूँ 
गिले  शिकवे  नहीं  है  मुझे  उस  से  कही 
बस  खुद  ही  की  नज़र  में  नाकाबिल  हूँ ….

Monday, December 21, 2009

Tasveer...






तस्वीर  देखती  हूँ 
उन  पुर्जो  में  कोई  ख़त  खोज  रही  हूँ 
पैगाम  उस  अनजान  चेहरे  का ,
इरादे  का  अंजाम  खोज  रही  हूँ 


आशिकी  का  हर  राज़ ,
उसके  लिए  सरगम  का  साज़  खोज  रही  हूँ 
घुंघरू  की  ताल ,
आवाज़  का  आग़ाज़   खोज  रही  हूँ 


धड़कन   सुनती  हूँ 
साँसों  की  वो  बात  खोज  रही  हूँ 
थामे  रात  को 
चांदनी  के  निशान  खोज  रही  हूँ 


मदहोश कर रही है मधु
आज मैं अपने ही पाँव के निशाँ खोज रही हूँ 
रेत के घरोंदे को देखती हूँ 
खुद का दुनिया में मकाम खोज रही हूँ 



Sunday, December 20, 2009

Seekha hai...



दिल  आज  बावरा  सा  हुआ  है
नजाने  कैसे  आज  पागल  सा  हुआ  है
सपनो  की  वो  कड़ी  जाने  कैसे
आँखे  मूंदे  बनी  है
खुली  आँखों  के  ख्वाब  सच
और  सच  ख्वाब  सा  है
बरसी  है  सावन  के  साथ
कितनी  नयी  आशाये
एक  नयी  ज़िन्दगी  की  आस  आज
सांस  के  साथ  बंधी  है
मजबूरियों  से  मुक्त  हाथ
आज  खुल  कर  बढे  है
कभी  सपनो  के  लिए  जीते  थे
आज  सपने  साथ  जीते  है
सजी  सी  किस्मत  लगती  है
बदली  सी  हर  बात
ख़ुशी  का  दामन  थमा  सा  है
और  अंधेरो  में   तन्हाईयाँ
वो  अँधेरे  भी  दूर , बहुत  दूर ,
न  पहुंचे , बीच  में  दीवार  सी  है
बगैर  किसी  के  साथ  के  आज
फिर  खुल  कर  हसना  सीखा  है 

Thursday, December 10, 2009

Lavzo ki tarah....




Lavzo ki tarah kitabo me mila karo
Fulo ki tarah yuhi khila karo
Tumhari muskurahat par jaan chidakte hain
Nazro se hum yuhi piya karte hain
Madhosh hain, hosh me aane na do
Dub rahe hai, aaj saahil na do
Jo chahat hai use bhulaya na karo
Hasa kar yun hame rulaya na karo
Barso bhatke hai tumhari talaash me
Hokar khafa jaan yun jalaya na karo
Jo lagta hai darr tumko zamane ki nazro ka
Haqiqat me na sahi, khayalo me hi mila karo...
Khayalo me hi mila karo...

Tuesday, December 1, 2009

The Thought


The thought of letting you go
Breaks my heart but I know
That you will never be happy here
Where the world has bound u in chains
But I sure wish I could keep you with me
So that I dont have those lonely dreams
Those moments of restlessness
And the agony of being a silent spectator
Of all that goes on around me
I wish I could keep you here
And make you a part of me
And let you be
The person you want to be
But i know
I have to let you free
So that u can reign this world
And be here on your terms
But i still want you to know
That wherever you go
You will always be a part of my thoughts
And always a part of me...