कैसे कहूँ की तुमसे प्यार नहीं
कैसे कहूँ की इकरार नहीं
तुम्हारी खुशबू बसी है मेरी साँसों में
तुम्हारे ख्वाब है मेरी आँखों में
तुम्हारी हर बात दिल को याद है
तुम्हारी आवाज़ दिल का साज़ है
तराने भी तो हम तुम्हारे ही गाते है
तुम्हारे बिना ही तो गुमसुम राते हैं
कैसे कहूँ की तुमसे प्यार नहीं
कैसे कहूँ की इकरार नहीं
कैसे नकारू सचाई को की तुम ही मेरे साथी हो
कैसे भुलाऊं लम्हों को बिताये तेरे साथ जो
कैसे मिटा दूँ दिल से उन यादो को
कैसे छुपाऊ अपनी आँखों को
तुम्हारे सपनो की मैं ही रानी हूँ
तुम्हारी परछाई ही नहीं हमराही हूँ
फिर कैसे कहूँ की प्यार नहीं
कैसे कहूँ की इकरार नहीं
कैसे कहूँ की ज़िन्दगी तुम्हारे बिना पूरी है
कैसे कहूँ की मेरी तन्हाई भी अधूरी है
ख्याल तुम्हारे दिल से मेरे जाते नहीं ...
आवाज़ पुकारती है तुम्हारी हर कही
किताबो में भी तुम्हारा चेहरा नज़र आता है
जूनून तुम्हारे प्यार का मुझ पर छाया जाता है
तो कैसे कहूँ की मैं तुम्हारी नहीं
कैसे कहूँ की तुमसे प्यार नहीं
कैसे कहूँ की इकरार नहीं ....
3 comments:
ma ma mia... jeet lia tu ne... m fallin in luv with tis one..:)
hmmm... i just wish my girl would say some of these lines to me... When will it come
awesome poem...!!!
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