Wednesday, March 3, 2010

गुलाबी आँखें


रफ़ी साहब का गाया हुआ एक बड़ा ही उम्दा गाना...
लव्ज़ किसके है मुझे मालूम नहीं है....
पर इतना कहूँगी की  आज की तारीख में मेरे दिल का हाल ज़रूर बताते है...
उसके लिए मुझे  और कोई शब्द नहीं मिल रहे थे...इसलिए पूरा गाना ही डाल दिया यहाँ...



गुलाबी  आँखें  जो  तेरी  देखी
शराबी  यह  दिल  हो  गया 
संभालो  मुझको  ओ  मेरे  यारों 
संभलना  मुश्किल  हो  गया 

दिल  में  मेरे  ख्वाब  तेरे 
तस्वीरे   जैसे  हो  दीवार  पे 
तुझ पे  फ़िदा  मैं  क्यों  हुआ 
आता  है  गुस्सा  मुझे  प्यार  पे 
मैं  लुट  गया  मानके  दिल  का  कहा 
मैं  कहीं  का  ना  रहा 
क्या  कहूं  मैं  दिलरुबा 
बुरा  यह  जादू  तेरी  आँखों  का 
यह  मेरा  कातिल  हो  गया 
गुलाबी  आँखें  जो  तेरी  देखी
शराबी  यह  दिल  हो  गया 

मैंने  सदा  चाहा  यही 
दामन  बचा  लूँ  हसीनों  से  मैं 
तेरी  कसम  ख़्वाबों  में  भी 
बचता  फिरा  नाज़नीनों  से  मैं 
तौबा  मगर  मिल  गयी  तुझसे  नज़र 
मिल  गया  दर्द -ए-जिगर 
सुन  ज़रा  ओ  बेखबर 
ज़रा  सा  हसके  जो  देखा  तुने 
मैं  तेरा  बिस्मिल  हो  गया 
गुलाबी  आँखें  जो  तेरी  देखी 
शराबी  यह  दिल  हो  गया 
संभालो  मुझको  ओ  मेरे  यारों 
संभलना  मुश्किल  हो  गया ......


4 comments:

Preethy said...

For certain feelings,
Words are fall short,
For certain realtions,
Name doesnt exist....
But same has been to someone else..so tht we can express our feelings like thiss...loved itt

Madhu said...

thanks so much preethy........... really wanted to hear this from YOU!!

Unknown said...

nice 1... There r moments when we actually fall short of words...
love it...!!!

Vatsala Prakhar said...

love dis song :)