Monday, February 15, 2010

Aankho me...




आँखों  में  तेरी  है  एक  जादू ,

चेहरे  पे  है  एक  कशिश ,

दिल  यह  हो  रहा  मेरा  बेकाबू 

तुझे  पाने  की  है  कोशिश 

नजाने  कैसी   यह  चाहत  है … 

जाने  कैसा  सुरूर 

तेरा  ही  नशा  छाया है 

तेरा  ही  मुझ  को  जूनून 

एक  आदत   सि  हो  गयी  है  जैसे ,

तुझे  देखे  बिना  चैन  नहीं  है 

हर  तरफ  बस  एक  तेरी  ही  सूरत  है 

नजरो  के  सामने  नहीं , फिर  भी  साथ  हो 

आस   पास  नहीं , फिर  भी  एक  एहसास  हो 

रूह  का  सुकून , इबादत  हो  मेरी  तुम 

मेरी  मंजिल  ,साहिल  हो  मेरी  तुम …

तुम्हारे  बिना  कहाँ  जाऊंगा  मैं ,

 मेरा  सरमाया  हो …मेरा  किनारा  हो  तुम …


4 comments:

kathe mithe pal said...

gud one indeed...........:)

Unknown said...

woooooowwwww,,,,,,,,bt ye tum hai kaun

Madhu said...

is tumka jawaab mil jaata agar to main yahan thode hi hoti????

संजय भास्‍कर said...

हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।